सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

हिन्दी साहित्य पहेली 52 श्रद्धांजलि

प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,
आज की पहेली श्रद्धांजलि है एक ऐसे शायर को जिसका देहान्त 59 वर्ष की अवस्था में 25 अक्टूबर 1980 को दिल का दौरा पड़ने से हो गया। आज की पहेली में आपको उसे प्रसिद्ध शायर के नाम केा पहचानकर उसे लिखना है

1 पहले संकेत के रूप में आपको अवगत कराना है कि:-
उनके जीवन की तल्ख़ियां (कटुता) इनके लिखे शेरों में झलकती है । परछाईयाँ नामक कविता में उन्होंने अपने प्रेमी जीवन की तरद्दुद का चित्रण किया है –
मैं फूल टाँक रहा हूँ तुम्हारे जूड़े में
तुम्हारी आँख मुसर्रत से झुकती जाती है
न जाने आज मैं क्या बात कहने वाला हूँ
ज़बान खुश्क है आवाज़ रुकती जाती है

2 दूसरे संकेत के रूप में आपको अवगत कराना है कि:- इस शायर को अपने जीवन में दो प्रेम असफलतायें मिलीं। पहला कॉलेज के दिनों में प्रसिद्ध लेखिका के साथ जब उसके घरवालों ने उनकी शादी न करने का फैसला ये सोचकर लिया कि एक तो मुस्लिम हैं दूसरे ग़रीबए और उनकी दूसरी मोहब्बत थी सुधा मल्होत्रा जिन्हे भी वह कभी न पा सके और आजीवन अविवाहित ही रहे


3 आखिरी तीसरे संकेत के रूप में आपको अवगत कराना है किः- उक्त शेर को लिखने वाले शायर का नाम असली नाम अब्दुल हायी था परन्तु दुनिया उसे इस नाम से नहीं जानती थी।
आज की पहेली में आपको उपरोक्त शेर लिखने वाले शायर अब्दुल हायी का वह नाम बताना है जिसे सारी दुनिया ने जाना
क्या आप पहचान गये हैं उस शायर को तो फिर अब देरी किस बात की जल्दी से जल्दी अपना उत्तर भेजें ताकि आपसे पहले उत्तर भेजकर कोई और इसका पहेली का विजेता न बन जाय।

हार्दिक शुभकामनाओं सहित।

2 टिप्‍पणियां:

आप सभी प्रतिभागियों की टिप्पणियां पहेली का परिणाम घोषित होने पर एक साथ प्रदर्शित की जायेगीं