मंगलवार, 19 जून 2012

हिन्दी साहित्य पहेली 86 परिणाम और विजेता हैं सुश्री साधना वैद्य जी


प्रिय पाठकजन एवं चिट्ठाकारों,

पहेली संख्या 86 में आपको हिन्दी में लिखी गयी आत्म परिचयात्मक पद्यात्मक रचना के लेखक को पहचानना था

इस पहेली का परिणाम
इस सहित्य पहेली 86 का विजेता घोषित करने से पहले आपको सही उत्तर बताते हैं कि आत्म परिचय के रूप में लिखी गयी इस पद्यात्मक रचना के रचयिता हैं श्रीयुत हरिवंशराय बच्चन जी
पूरी कविता इस प्रकार है
मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्‍यार लिए फिरता हूँ;
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं सासों के दो तार लिए फिरता हूँ!

मैं स्‍नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,
मैं कभी न जग का ध्‍यान किया करता हूँ,
जग पूछ रहा है उनको, जो जग की गाते,
मैं अपने मन का गान किया करता हूँ!

मैं निज उर के उद्गार लिए फिरता हूँ,
मैं निज उर के उपहार लिए फिरता हूँ;
है यह अपूर्ण संसार ने मुझको भाता
मैं स्‍वप्‍नों का संसार लिए फिरता हूँ!

मैं जला हृदय में अग्नि, दहा करता हूँ,
सुख-दुख दोनों में मग्‍न रहा करता हूँ;
जग भ्‍ाव-सागर तरने को नाव बनाए,
मैं भव मौजों पर मस्‍त बहा करता हूँ!

मैं यौवन का उन्‍माद लिए फिरता हूँ
उन्‍मादों में अवसाद लए फिरता हूँ,
जो मुझको बाहर हँसा, रुलाती भीतर,
मैं, हाय, किसी की याद लिए फिरता हूँ!

कर यत्‍न मिटे सब, सत्‍य किसी ने जाना?
नादन वहीं है, हाय, जहाँ पर दाना!
फिर मूढ़ न क्‍या जग, जो इस पर भी सीखे?
मैं सीख रहा हूँ, सीखा ज्ञान भूलना!

मैं और, और जग और, कहाँ का नाता,
मैं बना-बना कितने जग रोज़ मिटाता;
जग जिस पृथ्‍वी पर जोड़ा करता वैभव,
मैं प्रति पग से उस पृथ्‍वी को ठुकराता!

मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,
शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ,
हों जिसपर भूपों के प्रसाद निछावर,
मैं उस खंडर का भाग लिए फिरता हूँ!

मैं रोया, इसको तुम कहते हो गाना,
मैं फूट पड़ा, तुम कहते, छंद बनाना;
क्‍यों कवि कहकर संसार मुझे अपनाए,
मैं दुनिया का हूँ एक नया दीवाना!

मैं दीवानों का एक वेश लिए फिरता हूँ,
मैं मादकता नि:शेष लिए फिरता हूँ;
जिसको सुनकर जग झूम, झुके, लहराए,
मैं मस्‍ती का संदेश लिए फिरता हूँ!

और अब चर्चा इस पहेली के परिणाम पर

1- इस बार सबसे पहले सही उत्तर भेजकर विजेता के विजेता बनी हैं
सुश्री साधना वैद्य जी

2-और सही उत्तर भेज कर आज के प्रथम उपविजेता पद पर विराजमान हुई हैं सुश्री ऋता शेखर  ‘मधु’ जी।


3-इस बार थोडे से बिलम्ब के साथ सही उत्तर देकर उपविजेता बने है स्नेही भ्राता श्री सवाई सिंह राजपुरोहित जी

आज की पहेली में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को हार्दिक शुभकामनाये

2 टिप्‍पणियां:

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